आखाबीज

     आखा बीज 

भारत में कई राज्य हैं,

उनमें राजस्थान है एक।

राजस्थान में शहर बीकानेर,

कहते हैं जिस को बीकाणा।

राव बीका जी ने नींव लगाई,

आखा बीज का दिन था वो।

लोग उड़ाते पतंग हैं इस दिन,

बड़ा ही उल्लास दिखाते हैं।

ये काटा,वो काटा बोले कोई,

या फिर ढील दे, ढील दे, 

यही, दिन भर शोर मचाते हैं ।

रंग बिरंगी पतंगें दिन भर,

आकाश में छाई रहती हैं।

लहराती ये पतंगें दिन भर,

सब का मन हर्षातीं हैं।

हंसी खुशी के खेल में लेकिन,

इक समस्या बड़ी भारी है।

चाइनीज मांझा घायल कर दे,

आकाश में उड़ते परींदों को,

कभी -कभी यह जान भी ले लें,

राह चलते राहगीरों की।

हाथ जोड़ कर विनती सब से,

खेल को खेल ही रहने दें।

हार जीत के चक्कर में,

रंग में भंग ना पड़ने दें।

पतंग उड़ाना बड़ा सुखद है,

इसका आनंद उठाना है,

चाइनीज मांझा नहीं लगाना,

इस पर्व को सुरक्षित मनाना है।

हर्षोल्लास से ये दिवस मनाकर,

बीकानेर का मान बढ़ाना है।

कंचन चौहान, बीकानेर 




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