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अनिश्चित है जीवन

अनिश्चित है जीवन, ये अटल सच्चाई है चंचल मन ना समझे इसको, हर पल उलझा रहता है, ये भी मेरा, वो भी मेरा, सब कुछ मेरा कहता है, इस मेरा, मेरा में ही बस समझे, अपनी भलाई है। निश्चित तो बस यही इक पल है, जिस में हम उलझे रहते हैं। ये होगा, वो होगा, ऐसा हो जाएगा, बस यही हम सोचा करते हैं। सोचने के इस चक्कर में हम, इस पल को व्यर्थ गंवाते हैं। जिस पल को, जी भर कर जीना था, बस यूं ही बीत वो जाता है। तब  कर लेंगे, कल कर लेंगे, ना वो कल कभी आता है। कल , परसों के चक्कर में, ये आज भी बीत ही जाता है। जो करना है , अभी करना है, नहीं तो, ये आज फिर कल हो जाएगा। कुछ भी निश्चित नहीं है कल का, फिर पीछे पछताएगा लेकिन, ये आज फिर कल नहीं आएगा। अनिश्चित है जीवन, ये अटल सच्चाई है, जो करना है, अभी करना है, और इसी में सबकी भलाई है। कुछ भी निश्चित नहीं है कल का, निश्चित तो बस यही इक पल है, इसको स्मृति  पटल पर लिखाना है। अनिश्चितता के डर से हमको, जीना भूल नहीं जाना है। अनिश्चित भले कुछ भी हो, लेकिन ये निश्चित सच्चाई है , ये आज कल, कल बन जाएगा, इसमें ना कोई दो राय है। अनिश्चित है...

मां -पिता

कितने रिश्ते हैं दुनिया में, पर मां -पिता सा रिश्ता एक नहीं। इनके रहते कोई फ़िक्र नहीं दुनियादारी का, खुद का सोचो और ऐश करो, कोई जिक्र नहीं जिम्मेदारी का। हंस कर या फिर गुस्सा होकर, हर जिद्द ये पूरी करते हैं। देख दुःखी बच्चों को अपने, हर बात को मान ही जाते हैं। इनके संघर्षों को समझना, सबके  बस की बात नहीं । ग़लत भले औलाद हो कितना, पल में माफ़ मां -पिता करें। नाराज़गी चाहे कितनी भी हो, पर औलाद का दुःख ये सह ना सकें। बच्चों को ही दुनिया मानें, उनके लिए सौ दुःख सहे। अपनी कोई फ़िक्र नहीं इनको, बच्चों के लिए ही हर पल जिएं। बच्चों का जीवन सुगम,सुखद हो, यही कोशिश हर वक्त करें। पात्र बदलते हैं दुनिया में, किरदार हमेशा वही रहे। मां -पिता सा रिश्ता जीवन में, कोई और नहीं कभी हो सकता। औलाद वहीं खुशकिस्मत हैं जो,समय रहते ये समझ सके, मां -पिता सा रिश्ता जीवन में, कोई और निभा नहीं पाता है। इनके जैसे बच्चे के मन को, कोई और समझ नहीं पाता है समय पर जो ना ये समझे,वो फिर पीछे पछताता है।

सफलता का मंत्र

दुनिया में है कितने तारे, अपने पथ पर अग्रसर सारे, देखा नहीं देखा यह तुम जानो, लेकिन बस इतना तुम मानो। जिस दिन सूरज बन जाएंगे, अपने आप नजर आएंगे। कितने टूटे जीवन पथ पर, कितने मंजिल को पाते हैं। लगातार मेहनत जो करते, वही सफल हो जाते हैं। सरल, सहूलियत को छोड़े, संघर्षों से नाता जोड़े। बाधाओं की दीवारें तोड़े ,आगे जो कदम बढ़ाना जाने , उनको कोई रोक ना पाये, शिखर भी अपना शीश झुकाए। तब दुनिया पलकों पर बिठाए, जग में वो अपना नाम कमाए। सफलता का यह मूल मंत्र है,इसे जीवन में अपनाएं। लम्बा भले सफर है लेकिन, मेहनत अक्सर अपना रंग लाए। यह मंत्र जो समझ पाएंगे, वो अवश्य सूरज बन जाएंगे। बुलंदियों के शिखर को छू कर, अपनी मंजिल को पाएंगे। सूरज इक दिन वो बन जाएंगे, अपने आप नजर आएंगे।

नये युग का निर्माण करो

नये युग का निर्माण करो नारी तुम निर्मात्री हो, दो कुलों की भाग्य विधात्री हो। सृजन का है अधिकार तुम्हें, तुम ही जीवन धात्री हो। तुमसे ही उत्पन्न ये सृष्टि है। ममता और प्यार की मूरत तुम, धरती पर भगवान की सूरत तुम। तुम से ही जीवन सुखमय है, जीवन का सार, आधार तुम्हीं। तुम से ही जीवन खुशहाल सबका, घर की सुख और समृद्धि तुम। अपनों के लिए ढाल हो तुम, दुश्मन के लिए तलवार हो तुम। निर्माण या विनाश है तुम्हारे हाथ, कुछ नहीं असम्भव तुम्हारे लिए, सब सम्भव तुम कर सकती हो। नारी तुम बिल्कुल सक्षम हो, जब दृढ़ निश्चय तुम कर लेती हो, जो चाहे तुम कर सकती हो। नारी तुम निर्मात्री हो, अब नये युग का निर्माण करो। चुप रह कर ना अत्याचार सहो, सही और ग़लत की पहचान करो। लाचार नहीं, तुम सक्षम हो, एक नये युग का आगाज़ करो। नारी तुम निर्मात्री हो, अब नये युग का निर्माण करो।

प्रणाम शहीदां नू (शहीदी दिवस )

आज का दिन, वो दिन है जिस दिन अंग्रेजी हुकूमत ने हमारे भगत सिंह, राजगुरु एवम् सुखदेव को फांसी दी थी। शहीदों को दिल से प्रणाम 🙏।वो तीनों अगर चाहते तो बाकी आम भारतीयों की तरह अपनी जिंदगी जी सकते थे। लेकिन उन्होंने अपने जीवन को न्यौछावर कर के भारत को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसकी वज़ह से हम आज़ाद हैं लेकिन आज़ादी का मूल्य शायद हम भूलते जा रहे हैं, तभी तो आज हम सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हैं। देश सेवा या फिर देश भक्ति तो दो-दिन ही याद आती है या फिर यूं कहें याद भी क्या आती है, कुछ देर देशभक्ति के गाने सुनो, भाषण सुनो और हो गई देशभक्ति। व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाना और चलवाना हर भारतीय की जिम्मेदारी है लेकिन अगर हम ऐसा करेंगे तो शायद कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, जिसके लिए कोई तैयार ही नहीं, क्योंकि ऐसा करना तो समय की बर्बादी लगता है। इसलिए कुछ पैसे दे दो और अपना काम करवा लो, यही चलन है और इस चलन के चलते एक मध्यम वर्गीय इंसान जो कि अपनी जरूरत मुश्किल से पूरी कर पाता है, उसे भी पिसना पड़ता है। इसका प्रमाण अगर देखना हो तो सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट हॉस्पिटल के बा...

अभिलाषा

 अपने ही नभ में उड़ना मुझको,अपना संसार बनाना है। कोमल मन की अभिलाषा है,अंबर से ऊपर जाना  है। कुरीतियों की बेड़ी पग में,मन फिर भी उड़ता है नभ में। कोमल मन को झंझावात से,अब मुझे ही पार लगाना है। जोखिम को अपने सिर ले,अब पहला कदम बढ़ाना है। पहला कदम जब उठ जाता है,नयी डगर इक बनती है। नयी डगर पर चल कर ही तो, मुझको मंजिल को पाना है। कोमल मन की अभिलाषा है, अंबर से ऊपर जाना है। संघर्षों से जीत कर मुझको,अपना संसार बनाना है।

सपने

  सपने देखो, और फिर अपने सपने साकार करो। इन सपनों को पाने के लिए, मेहनत तुम लगातार करो। नहीं थकना है, नहीं रूकना है, आशा का दामन थामो। बिना रुके तुम चलते जाना, मंज़िल जो तुमको पानी है। जग जाने यह सत्य , बुद्धि से सदा ही ताकत हारी है। सपने देखो, तत्पर बुद्धि से तुम विचार करो । मेहनत के बल पर तुम अपने सपने साकार करो। जो सपनों को देख सके वो जीते दुनिया सारी है। बस मेहनत से मुख ना मोड़ो, मुठ्ठी में दुनिया तुम्हारी है। मुश्किल से तुम मत घबराना, मुश्किल में मौका है छुपा। मुश्किल को मौके में बदलो, और फिर जीत तुम्हारी है। सपने देखो और फिर सपने साकार करो। सपनों को पाने के लिए मेहनत तुम लगातार करो।

जीवन को सफल बनाना है

               निंदा, चुगली का ज़हर,ना जीवन में घोलो, यही तो है रिश्तों में दीमक, इन से बस तौबा तुम कर लो। खुशियों को जीवन में भर लो। जीओ और जीने दो को अपनाकर , जीवन को सुगम बनाना है, अपनी सोच को उन्नत करके, जीवन को सफल बनाना है। पहले कर्तव्यों को पूरा करके, फिर अधिकार जताना है। कितनी मुश्किलों को किया है पैदा, इक दूजे का जीवन दुश्वार किया , व्यर्थ ही समय गंवाया अपना, निज ऊर्जा को बर्बाद किया। व्यर्थ की बातों से तौबा कर के, सत्करमों में अब अपनी ऊर्जा को लगाना है। सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर, जीवन को सफल बनाना है।

सफलता सांझी है

मत भूल सफलता सांझी है, कुछ तेरी है, कुछ मेरी है । मां -पिता और बच्चे सांझे  है, कुछ रिश्ते -नाते सांझे हैं। कुछ जिम्मेदारी सांझी है , कुछ हिस्सेदारी सांझी है। मेहनत जो तुमने की है तो, इंतज़ार मैंने भी किया तेरा। कुछ लम्हें तन्हा काटे हैं, कुछ तुम बिन फ़र्ज़ निभायें हैं। मेहनत तेरी तभी रंग लाई है, जिम्मेदारी जब मैंने निभाई है। इसलिए सफलता सांझी है, कुछ तेरी है, कुछ मेरी है। मत भूल सफलता सांझी है, कुछ तेरी है, कुछ मेरी है। तुम से पूर्ण रूप मेरा, और मुझसे हो सम्पूर्ण तुम। मैं और तुम दोनों हम हैं, हम दोनों से ये दुनिया है। जो कुछ भी है,सब दोनों का, चाहे लाभ हो या फिर हानि है। कुछ तेरी जिम्मेदारी है, कुछ मेरी जिम्मेदारी है। इसलिए सफलता सांझी है। कुछ तेरी है कुछ मेरी है। मत भूल सफलता सांझी है।

बचपन

                             हंसता खिलखिलाता बचपन,कितना मन को भाता है। पीछे मुड़कर देखूं और सोचूं, बचपन पंख लगा उड़ जाता है। बड़ी रीझ थी बड़े होने की, कितने सपने पाले थे। बड़े हो कर हम ये करेंगे,वो बनेंगे, कितने पंख लगा डाले थे। बिना पंख के उड़ना तो बस बचपन में ही सम्भव था। बड़े हुए तब जाकर हम, असल जिंदगी से दो-चार हुए, अपना सोचें तो अपने रूठें,अपनों का सोचें तो सपने टूटें, ऐसा होता है बड़े होना , कभी ऐसा तो नहीं सोचा था। भूल गए अपनी मनमर्जी,भूलें बिसरे सब राग हुए। ना अपनी मर्ज़ी से जाना, मनमानी अब ना कर पाना, अपनी बात भी ना रख पाना,बेबस अपने हालात हुए। कहने को सब कुछ मेरा है,पर मेरा अपना अब कुछ भी नहीं। जो मेरा है वो सब का है, जो सबका है वो मेरा नहीं। ख्वाबों की दुनिया से निकल कर, सच से जब दो-चार हुए , जाना और फिर हमने माना ,बचपन होता है बड़ा सुहाना , हम फिर से जीना चाहें वहीं दिन, मन फिर से बच्चा बनना चाहें। हंसता खिलखिलाता बचपन, अब कितना मन को भाए। पंख लगा उड़ गया जो बचपन,अब भी यादों में जिंदा हैं  सौ बात...

भीड़ का हिस्सा

ऐसा क्यों होता है कि सफलता सिर्फ कुछ लोगों के हिस्से ही आती है बाकी लोग तो जिंदगी में भीड़ का हिस्सा ही बन जाते हैं। टीचर होने की  वजह से दिन में बहुत से बच्चों से मिलने का मौका मिलता है और इस वजह से बच्चों के बदलते व्यवहार को बहुत करीब से जानने और समझने का अनुभव भी होता है। देखती हूं कि जो बच्चे कक्षा 6 तक अपने  शिक्षकों का इतना सम्मान करते हैं उसमें परिवर्तन आना शुरू हो जाता है और हम कहते हैं कि बच्चों में शिष्टाचार नहीं है, लेकिन बच्चे तो वही हैं फिर बदला क्या है और क्यों है? जब प्रार्थना में कोई वक्ता बोलता है तो लगता है कि बच्चे सुनना ही नहीं चाहते, वक्ता को भी पता होता है कि सभी नहीं सुन रहे लेकिन वक्ता को ये भी पता होता है कि उन सभी बच्चों में कम से कम एक प्रतिशत बच्चे सुनते हैं और यही आगे चलकर समाज में, दुनिया में अपना और अपनों का नाम रोशन करते हैं बाकी सब तो भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं जो सिर्फ अपनी जरूरतें और अपने बच्चों के शौंक पूरे करते हैं। शायद यही वजह है कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है क्योंकि वे सही समय पर अपने समय को सही तरीके से सदुपयोग नहीं करते और फिर ...

होली के रंग

  लाल गुलाबी नीले पीले,कई रंगों से रंगी हुई होली आई होली आई, धरती लग रही सजी धजी रंग बिरंगे फूल और कलियां,बाग, बगीचे खिले हुए। होली के रंगों के जैसे दिल सबके हैं मिले हुए। आस-पास और गली गुवाड़ में, लोग रमे हैं रम्मत में। बाजारों की रौनक देखो,कई गुणा है बढ़ी हुई। ऐसे में  कोई शिकवा गिला है, होलिका में दहन करो। सब बीती बातों को भुलाकर, दिल से सब को माफ़ करो। होली के रंगों के जैसे जीवन में सब रंग भरो।

परीक्षा का परिणाम

          परीक्षा का परिणाम परीक्षा कक्ष में होता  देखो,कितना अजीब नज़ारा है, प्रश्न पत्र के इंतजार में बैठे बच्चे, कैसे -कैसे भाव लिए। मची हुई है मन में हलचल, कितने मिश्रित विचार लिए, क्या आएगा, क्या लिखेंगे, क्या हम लिख भी पाएंगे। प्रश्न पत्र पाते ही देखो पन्ने ऐसे पलटते हैं, एक ही पल में जांचना चाहते, क्या -क्या इनको आता है। फिर लिखना जब शुरू हैं करते,एक पल भी रूक नहीं पाते हैं। हाथ अगर रूकना भी चाहे, झटक-झटक कर चलाते हैं। साल भर का पढ़ा हुआ अब, कुछ ही घंटों में लिखना है । लिखने से ही निर्धारित होना,परीक्षा का परिणाम है । किन हालातों से गुजरे बच्चे, क्या बीता है उनके साथ, अस्वस्थ थे या घटी दुर्घटना पिछली रात, इसका कोई जिक्र नहीं है, क्या  बीता है किसके साथ। लिखने से ही पता चलेगा,किसको कितना ज्ञान है। इसी से निर्धारित होना परीक्षा का परिणाम है।