अनिश्चित है जीवन
अनिश्चित है जीवन, ये अटल सच्चाई है चंचल मन ना समझे इसको, हर पल उलझा रहता है, ये भी मेरा, वो भी मेरा, सब कुछ मेरा कहता है, इस मेरा, मेरा में ही बस समझे, अपनी भलाई है। निश्चित तो बस यही इक पल है, जिस में हम उलझे रहते हैं। ये होगा, वो होगा, ऐसा हो जाएगा, बस यही हम सोचा करते हैं। सोचने के इस चक्कर में हम, इस पल को व्यर्थ गंवाते हैं। जिस पल को, जी भर कर जीना था, बस यूं ही बीत वो जाता है। तब कर लेंगे, कल कर लेंगे, ना वो कल कभी आता है। कल , परसों के चक्कर में, ये आज भी बीत ही जाता है। जो करना है , अभी करना है, नहीं तो, ये आज फिर कल हो जाएगा। कुछ भी निश्चित नहीं है कल का, फिर पीछे पछताएगा लेकिन, ये आज फिर कल नहीं आएगा। अनिश्चित है जीवन, ये अटल सच्चाई है, जो करना है, अभी करना है, और इसी में सबकी भलाई है। कुछ भी निश्चित नहीं है कल का, निश्चित तो बस यही इक पल है, इसको स्मृति पटल पर लिखाना है। अनिश्चितता के डर से हमको, जीना भूल नहीं जाना है। अनिश्चित भले कुछ भी हो, लेकिन ये निश्चित सच्चाई है , ये आज कल, कल बन जाएगा, इसमें ना कोई दो राय है। अनिश्चित है...